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जाना वाणी जी जयाराम का गोलोक

जाना वाणी जी जयाराम का गोलोक 

गाने वाले कब कहीं जाते हैं अलबत्ता वह इस नश्वर शरीर से मुक्त हो जाते हैं हमारे लिए अदृश्य रूप.आत्मा अजर अमर अविनाशी है शरीर पहले ही जड़ है इसलिए मृत है। फिर मरता कौन है ?सबकुछ अंतरण है पदार्थ का ऊर्जा में ऊर्जा का पदार्थ में । पदार्थ ऊर्जा में बदली तो मौत कहलाती है और ऊर्जा का दृश्य जगत में पदार्थ रूप अवतरण जन्म कहलाता है। 

बोले रे पपीहरा गीत गुड्डी फिल्म में तथा इस ही फिल्म में -हमको मन की शक्ति देना मन विजय करें -देने वाली गायिका कहीं जा भी कैसे सकती है? उनके गाये फिल्म मीरा के गीत सदियों तक गुंजन करते रहेंगे। 

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई ......   ,कर न फकीरी फिर क्या दिल गिरी सदा मग्न मैं रहना जी ,कोई दिन बंगला, न कोई दिन गाड़ी ,सदा ही भुई पे लौटना जी। 

घर में मृत मिलीं सिंगर वाणी जयराम:पद्म भूषण से पिछले महीने सम्मानित हुईं, 77 की उम्र में निधन; 10 हजार से ज्यादा गाने गाए

16 घंटे पहले

हाल ही पद्म भूषण से सम्मानित की गईं दक्षिण की मशहूर सिंगर वाणी जयराम का 77 साल की उम्र में निधन हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, काफी समय पहले उनके सिर में चोट लगी थी, जिसकी वजह से वे बीमार रहती थीं। शनिवार सुबह वे चेन्नई स्थित अपने घर में मृत पाई गईं। अभी तक उनकी मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। वाणी जयराम को पद्म भूषण अवार्ड 2023 से सम्मानित किया गया है।

संगीत के क्षेत्र में उम्दा प्रदर्शन के लिए वाणी को 3 बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है।

वाणी जयराम का हिंदी फिल्म गुड्‌डी के लिए गया गाना बोले रे पपीहरा... काफी मशहूर हुआ था।
वाणी जयराम का हिंदी फिल्म गुड्‌डी के लिए गया गाना बोले रे पपीहरा... काफी मशहूर हुआ था।

मेरे तो गिरधर गोपाल के लिए मिला फिल्मफेयर
वाणी ने बॉलीवुड को भी कई बेहतरीन गाने दिए हैं। साल 1980 में वाणी को मीरा फिल्म के, मेरे तो गिरधर गोपाल... गाने के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। गुड्‌डी फिल्म में उनका गाया बोले रे पपीहरा... गीत भी काफी मशहूर हुआ। इसके अलावा साल 1991 में उन्हें संगीत पीठ सम्मान से भी नवाजा, वाणी ये सम्मान पाने वाली सबसे कम उम्र की सिंगर थीं। तब उनकी उम्र 46 साल थी।

वाणी ने एमएस इलैयाराजा, आरडी बर्मन, केवी महादेवन, ओपी नैय्यर और मदन मोहन जैसे दिग्गज कंपोजर के साथ काम किया। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत फिल्म स्वपनम से की थी।

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सुना है टूलकिट पोषित आंदोलनजीवी भकुवे २६ जून २०२१ को आपातकाल की बरसी मनाएंगे। उस दिन ये गला खोल कर बधाई  गाएंगे -आज तो बधाई बाजे रंग महल में।हो सकता है इनमें से कईओं के घर लौंडा हुआ हो इस दरमियान आखिर सत मासे भी पैदा होते हैं फलते फूलते हैं। सुनने में  यह भी आया है ट्वीट कांग्रेस का सांस अभी से फूलने लगा है। दादी की करतूतों का भले मंच से बखान न हो और वर्तमान राजनीतिक प्रबंध के खिलाफ रुदाली गाएँ बजाएं टूलकिटिये आपिए और रक्तरँगी मार्क्सवाद  गुलाम भकुवे - लेकिन जिन लोगों ने ये दौर देखा वह जानते हैं आपातकाल के अगले दिन जो अखबार छपे थे न सिर्फ उनके मुख पृष्ठ श्याम थे सम्पादकीय की जगह भी खाली छोड़ दी गई थी। जो उस दौर की सारी दास्ताँ बयां करती थी।एक ख़ास किस्म का सन्नाटा उस दौर में देश  में पसरा था जब लिखा गया था - एक गुड़िया की कई कठपुतलियों में जान है , आज शाइर ये तमाशा देख कर हैरान है।  ------------------------------------------  कहाँ तो तय था चरागाँ हरेक घर के लिए , कहाँ चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए।  ----------------------------------------- कल नुमाइश में मिला वो चीथड़े पहने हुए , मैं ने पूछ