सुना है टूलकिट पोषित आंदोलनजीवी भकुवे २६ जून २०२१ को आपातकाल की बरसी मनाएंगे। उस दिन ये गला खोल कर बधाई गाएंगे -आज तो बधाई बाजे रंग महल में।हो सकता है इनमें से कईओं के घर लौंडा हुआ हो इस दरमियान आखिर सत मासे भी पैदा होते हैं फलते फूलते हैं। सुनने में यह भी आया है ट्वीट कांग्रेस का सांस अभी से फूलने लगा है। दादी की करतूतों का भले मंच से बखान न हो और वर्तमान राजनीतिक प्रबंध के खिलाफ रुदाली गाएँ बजाएं टूलकिटिये आपिए और रक्तरँगी मार्क्सवाद गुलाम भकुवे -
सुना है टूलकिट पोषित आंदोलनजीवी भकुवे २६ जून २०२१ को आपातकाल की बरसी मनाएंगे। उस दिन ये गला खोल कर बधाई गाएंगे -आज तो बधाई बाजे रंग महल में।हो सकता है इनमें से कईओं के घर लौंडा हुआ हो इस दरमियान आखिर सत मासे भी पैदा होते हैं फलते फूलते हैं। सुनने में यह भी आया है ट्वीट कांग्रेस का सांस अभी से फूलने लगा है। दादी की करतूतों का भले मंच से बखान न हो और वर्तमान राजनीतिक प्रबंध के खिलाफ रुदाली गाएँ बजाएं टूलकिटिये आपिए और रक्तरँगी मार्क्सवाद गुलाम भकुवे - लेकिन जिन लोगों ने ये दौर देखा वह जानते हैं आपातकाल के अगले दिन जो अखबार छपे थे न सिर्फ उनके मुख पृष्ठ श्याम थे सम्पादकीय की जगह भी खाली छोड़ दी गई थी। जो उस दौर की सारी दास्ताँ बयां करती थी।एक ख़ास किस्म का सन्नाटा उस दौर में देश में पसरा था जब लिखा गया था - एक गुड़िया की कई कठपुतलियों में जान है , आज शाइर ये तमाशा देख कर हैरान है। ------------------------------------------ कहाँ तो तय था चरागाँ हरेक घर के लिए , कहाँ चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए। ----------------------------------------- कल नुमाइश ...