मोकू  कहाँ ढूंढें रे बन दे ,मैं तो तेरे पास में                            (१ )  न तीरथ में न मूरत में न एकांत निवास में ,  न मन्दिर में न मस्जिद में ,न काबे कैलास में।   मोकू कहाँ ढूंढें रे बंदे मैं तो तेरे पास में।                             (२ )  न मैं जप में न मैं तप में ,न मैं बरत उपास में ,  न मैं किरिया  -करम में रहता ,न मैं जोग संन्यास में।   मोकू कहाँ ढूंढें रे बंदे मैं तो तेरे पास में।                            (३ )  न ही प्राण में न ही पिंड में ,न हूँ मैं आकाश में ,  न ही प्राण में न ही पिंड में ,न हूँ मैं आकाश में।   न मैं परबत के गुफा में ,न ही साँसों के सांस में।   मोकू कहाँ ढूंढें रे बंदे मैं तो तेरे पास में।                           (४ )   खोजो तो तुरत मिल जावूँ ...